लुकी छुपी डरी डरी की
मन मा सांसों भरी की
लुकी छुपी डरी डरी की
मन मा सांसों भरी की
त्वै मिलण अयों छो
सौ सिंगार करि की
रूण झुण बरखा की झड़ी मा हाय
सौण भादों की कोयेड़ी मा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
(लड़की कहती हे की छुपते छुपाते डर डर के ,
मन में सांस भरते हुए ..तुझसे मिलने आई हू
इस बारिश और कोहरे में इतना सज संवर के ..

अब तो आजा हे प्रिय आजा )
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लुकी छुपी डरी डरी की
मन मा सांसों भरी की
लुकी छुपी डरी डरी की
मन मा सांसों भरी की
त्वै मिलण अयों छो
गाद गद्न्या तरी की
रूण झुण बरखा की झड़ी मा हां
सौण भादों की कोयेड़ी मा
ऐजा हे ऐजा हे गैल्या ऐजा
ऐजा हे ऐजा हे गैल्या ऐजा
(लड़का कहता है छुपते छुपाते डर डर के ,
मन में सांस भरते हुए ..तुझसे मिलने आया हु
इस भारी बारिश में झरनो को तैर तैर के

 अब तो आजा हे प्रिय आजा )
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कुंवारी कुंगली गति मा बरखा धेड़ूँ की मार चा
कुंवारी कुंगली गति मा बरखा धेड़ूँ की मार चा
कनो करी ढकोंण छा ई चदरी की आड़ चा
सजण नि देंद मिलण नि देंद
सजण नि देंद मिलण नि देंद
जल्मों की बैरी बरखा रिसाड चा
ईं बरखा समजै जा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
(लड़की कहती हे की इस कुंवारी लड़की के 

कमजोर से शरीर में बारिश के थापेड़ो की मार
 में कैसे इस चुनरी की आड़ खुद को ढकु में । 
ये जन्मो से नाराज़ बारिश मुझे सजने नहीं देती 
ये मिलने नहीं देती इस बारिश को समझा दो । 
आजाओ प्रिय आजाओ )
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गली नि जैली बून्द बरखा पाणी का जो पौडला
गली नि जैली बून्द बरखा पाणी का जो पौडला
खिळयूँ खिळयूँ रूप रंग और बी निखारला
नॉनी सी की गत मा मोतियों का बून्द
नॉनी सी की गत मा मोतियों का बून्द
थो खै निथर जाल तैरो कया बिगाडला
आंखियूँ की तिस बुझै जा
ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
..
(लड़का कहता है बारिश की बूँद पड़ने से गल नहीं जाओगी । 

बल्कि इस से खिला हुआ रूप और भी बिखर जायगा । 
छोटी सी ........ में बरखा की बूँद मोती समान चमकेंगे तो तेरा क्या बिगड़ जायेगा । 
बस तू आजा प्रिय आजा )
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इकुली बिंदुली सुरमा लाल पौडर बगेगे
इकुली बिंदुली सुरमा लाल पौडर बगेगे
सज धज बिगाड़ी सियूंदी फुंदी रूझैगे
सौत सी निर्भगी ऐ हुली कख भटी
सौत सी निर्भगी ऐ हुली कख भटी
तन तरसे गे जान सुखै गे
ईं बरखा समजै जा
ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा

(लड़की गुस्से  में कहती  हे  की  मेरी बिंदी  ,सुरमा  ,पाउडर
सब के  सब बह  गए , मेरी  सारी  सज्जा  को बिगाड़  दिया 
सोतन  सी  निर्भग्य्वान  ये  बारिश  कहा  से आई  होगी 
मेरे  शरीर  को  तरसा  रही  है  ..मेरी  जान  को  सुखा  रही  है ..
इस  बारिश  को  समझा  दो ...आजाओ  आजाओ  रे  प्रिय  आ  जाओ .)
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बरखा त निर्दोष च पर दोष क्वी जरूर चा
बरखा त निर्दोष च पर दोष क्वी जरूर चा
सच पूछ दी मैमा तेरी ज्वानी को कसूर चा
रत्नाली आंखीं घनघोर माया
रत्नाली आंखीं घनघोर माया
ज्वानी का नास मा तन मन चकाचूर चा
मन की बात बिंगे जा
ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा

(लड़का कहता  है  बारिश तो निर्दोष हे  ..दोषी  तो कोई   है .
सच में  कहू  तो  यह  तेरी  जवान  का  कसूर  है ..
 प्रेम  में  तेरी  आखे  रत्न  जैसी दिखती है  और जवानी के नशे  में
तन  और  मन  चकनाचूर  लगती है ..जो भी  तेरे मन  में  है  बोल  दे..
एक बार आज जाओ ..प्रिये  आजाओ ...)


ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा
ऐजा ऐजा रे गैल्या ऐजा


लिरिक्स आभार  : डॉ बाल  कृष्ण  ध्यानी  जी