बांद मा की बांद छेयी तू..
चाँद मा की चाँद छेयी तू..
बांद मा की बांद छेयी...चाँद मा की चाँद छेयी
सेरी दुनिया से न्यारी छेयी ..

तू बांद मा की बांद ...तू चाँद मा की चाँद..
तू स्वाणी बिगरेली ..तू मन की मयाली ...
सेरी दुनिया से न्यारी छेयी तू..मेरा हिया को प्यारी छेयी तू..

{इस गीत में नायक अपनी नायिका के सोंदर्य की तारीफ़ में कहता है
तेरा सोंदर्य चाँद में भी चाँद जैसा है ...सुन्दर कन्याओं में भी सबसे सुन्दर तू है
आगे जोड़ते हुए नायक कहता है की तू सारी दुनिया में सबसे न्यारी है , और मेरे दिल को प्यारी लगती है}

सुप्न्यु सी लगदु जब औंदी तू समणी..
दातोड्यु का बीच मा तू दबे के औठुडी
हे..सुप्न्यु सी लगदु जब औंदी तू समणी..
दातोड्यु का बीच मा तू दबे के औठुडी
ठग्यो सी रे जान्दो मि ..सोचण बे जान्दो मी ..
ठग्यो सी रे जान्दो मि ..सोचण बे जान्दो मी ..
कथगा स्वाणी न्यारी छेयी ...

कथगा स्वाणी न्यारी छेयी तू...मेरा हिया को प्यारी छेयी तू..

तू बांद मा की बांद ...तू चाँद मा की चाँद..
तू स्वाणी बिगरेली ..तू मन की मयाली ...
तू बांद मा की बांद ...तू चाँद मा की चाँद..
तू स्वाणी बिगरेली ..तू मन की मयाली ...

{आगे बढ़ते हुए नायक का कहना हे की
मुझे सपना सा लगता है जब भी तू मेरे सामने अपने होंठो को अपने
दांतों के बीच दबाये हुए आती है ..
मै ठगा सा महसूस करता हु और
सोचने बैठ जाता हु की तू कितना न्यारी है ...
मेरे दिल को कितनी प्यारी है..}

सब्यु से अलग तेरु बोलण बच्याण ...
सर्ग की अछरी सी छे ..अलग पछ्याण ..
रुड्यु का सी छेल माँ ...तिसरा सरेल मा ..
रुड्यु का सी छेल माँ ...तिसरा सरेल मा .
पाणी की सी धार ........

पाणी की धार छेयी तू. ........

तू बांद मा की बांद ...तू चाँद मा की चाँद..
तू स्वाणी बिगरेली ..तू मन की मयाली ...
तू बांद मा की बांद ...तू चाँद मा की चाँद..
तू स्वाणी बिगरेली ..तू मन की मयाली ...

{नायक ओर जोड़ता हैु तेरे बोलने का तरीका भी सबसे अलग है....
स्वर्ग से आई अप्सरा जैसी अलग ही पहचान है..
तू तो तेज गर्मी में छाव जैसी है....
प्यासे शरीर के लिए पानी की धार जैसी है ..}