Wednesday, September 2, 2020 10:44 PM

Lyrics of Pahadi capebella 2 | Garhwali song lyrics

 



तै ढांमड़ा रख मूड़ी (तशरीफ़ रख)
अर सुण यु झबराट (और ये आवाजें सुन) बीड़ी बूझो बुड्या (बीड़ी बुझा बूढ़े) फोड़लु ढूँगा न कपाळ (वरना पत्थर से माथा फोड़ूंगा) बौराड़ी बटी चली मेरु ट्रैकर (बौराड़ी से मेरा चला ट्रैकर) चोरी का माल्टा खएली मिन चार (मैंने चोरी से 4 माल्टे भी खा लिए हैं) सुणी मिन गिटार मा ढोल की ताल (मैंने गिटार में ढोल की ताल सुनी) सभी कन्ना रैप यख बांदर या स्याळ (सभी यहाँ रैप कर रहे हैं चाहे वो बंदर हो या सियार) लीड कोच्ची बल कानो मा भैजी (भाईसाहब लीड कान में घुसाओ) आँखि पौंछि बरमण्ड मा भैजी (आँखे ब्रह्माण्ड में पंहुचाके) झरफर हुड़की बजै दे (चमक धमक के साथ हुड़की बजा दे) सेंटुली जन धौण हिलै दे (गुरसल पक्षी के जैसे गर्दन हिला दे) शूट-बूट पैरी बण्यो बबाल- ( शूट-बब ूत पहन कर बबाल बनकर) अपणा चौक बटी मारी मिन फाळ- (अपने आंगन से मैंने छलांग लगायी) कैमा बताण हे कख लुकण (किसके पास बताऊँ और कहाँ छिपु) जख देखा वख लगणु मण्डाण (जहां देखो वहां मंडाण लगा है /सब नाच रहे हैं) खातामा ऐगी पेन्शन मोदी जी की- (मोदी की पेन्शन खाते में आ गयी है) जग घूमिगी अर व्हैगी मेरी शेखी (संसार घूम गया हूँ और मेरी शेखी हो गयी है) कैका हाथ नी औलु (किसीके हाथ नहीं आऊंगा) न मै छ्वीं लगौलू ( न मै किसी से बातचीत करूंगा) काळू धन सी मेरु पुंगड़ू व्हैगी (मेरा खेत मेरे काले धन जैसा है) बोलणू मै सच्ची स्वर की कच्ची (सच कर रहा हूँ मैं वो स्वर की कच्ची है) कनि पैरांदी साड़ी , ( कैसी साड़ी पहनती है ) गोठरदा गोठर दा बकम भम (अब तबेले में जाकर उछल-उछल कर नाचेगी) हे मेरी परूली (हे मेरी प्यारी) धन त्वैकू माराज (महाराज तुझे धन्य है) गोठरदा गोठर दा बकम भम (अब तबेले में जाकर उछल-उछल कर नाच) पंदयार जाणक स्या बोल्दी ना (पानी के स्रोत में जाने के लिए वह ना बोलती है) भैंसु पीजाणक बोल्दी ना ( भैंस का दूध निकालने के लिए ना बोलती है) बस दांत दिखौण मा रैंदी अगाड़ी - (बस दांत दिखाने में आगे रहती है) अरे छवीं लगाण म त हे मेरी ब्वै (और गप्पे मारने में तो हे मेरी माँ) सैरा घर कु काम (सारे घर का काम ?) बोल्दी ना (ना बोलती है) बल भांडा मंजोंण को (बल बर्तन मांजने के लिए?) बोल्दी ना (ना बोलती है) तुमारी सांकि दबौण कि बारि भी छ (तुम्हारा गला दाबने की बारी भी है) पैली वींकि दबौलू मी सोच ल्या हां तुम (पर पहले उसकी दबोचूंगा सोच लो तुम) वींकी गोरी मुखड़ी माँ व्है भरम (उसकी गोरी शक्ल से भरम हो गया) कना फूटी आंखा कना रै करम ( फूटी आखों के साथ क्या करम भी फूटे थे) कना भाग फूट्या मेरा हे प्रभु ( हे प्रभु मेरे कैसे भाग फूटे) अब कैमा बतौ मी औणी च सरम (अब किसको बताऊं शर्म आ रही है) ढूँगा - पत्थर से, कपाळ- माथा, बटी- से, मिन- मैंने माल्टा - सन्तरे जैसा एक रसीला पहाड़ी फल सुणी मिन - सुना मैंने यख- यहाँ, स्याळ- सियार, कोचना - घुसाना भैजी - भाई के लिए आदर सूचक शब्द बरमण्ड- सिर जिसे ब्रह्माण्ड की संज्ञा दी गयी है झरफर- चमक धमक , हुड़की- एक वाध्ययंत्र सेंटुली - गुरसल (एक पक्षी), जन- जैसे धौण- गर्दन, हिलै दे - हिला दे पैरी- पहनकर, बण्यु- बना चौक बटी - आँगन से, फाळ- छलांग कैमा - किसके पास, बताण - बताउ कख- कहाँ, लुकण- छिपना/छिपाना जख- जहां, वख- वहां, लगणु- लग रहा हैं मण्डाण- Dance Form of Celebration अर- और व्हैगी- हो गई कैका- किसीके छ्वीँ/छवीं - बातचीत/ गप्पें लगौलू- लगाऊंगा जनु- जैसे, पुंगड़ू- खेत व्हैगी- हो गया बोलणू- बोल रहा हूँ कनि- कैसी, पैरांदी- पहनती है परूली- प्यारी, त्वैकू- तुझे पंदयार - पानी का स्रोत जाणक - जाने के लिए, बोल्दी- बोलती है स्या- वह (स्त्रीलिंग), पीजाण- जानवर का दूध निकालना दिखौण- दिखाना, रैंदी - रहती है अगाड़ी- आगे, ब्वै- माँ, भांडा- बर्तन, सांकि- गर्दन/गला दबौण- दबाना, नि छ- नहीं है पैली- पहले, वींकि- उसकी, मुखड़ी- शक्ल..


.............हिंदी शब्दार्थ.............. हुक लाइन "गोठर दा बकम भम" गोठर दा- यह उत्तराखण्ड में बोली जाने वाली कुमाउँनी भाषा का शब्द है। "गोठर" को उत्तराखण्ड में ही बोली जाने वाली गढ़वाली भाषा में गुठ्यार भी कहा जाता है जिसका हिन्दी अर्थ- आंगन का ऐसा कोना जहां गाय-भैंस बाँधी जाती हैं। "दा" शब्द यहाँ आगे आने वाले शब्दों को जोड़ता है इसलिए यहाँ पर दा का मतलब है - में बकम भम - आनन्द के क्षणों में बहुत ऊंचाई तक उड़कर नीचे गिरने की आवाज/ उत्पात मचाना "गोठर दा बकम भम"----- बड़े बूढ़ो से बचकर आँगन के कोने में/तबेले में जाकर आनन्द लेना/ उछल- उछल कर नाचो तै- उस......... ढांमड़ा- कमर तथा उसके नीचे का हिस्सा (तशरीफ़) मूड़ी- नीचे (ऊपर से नीचे दिखाई देने के लिए प्रयुक्त होने वाला लोक शब्द) झबराट- पहने हुए कपड़ो की आवाज(घाघरा/फ्रॉक या अन्य पहने हुए कपड़ों की आवाज)

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Thursday, February 13, 2020 9:09 AM

Tu Aija O Pahad | BK Samant | garhwali song lyrics




तु ऐ जा औ पहाड़ .
ऊ आंख्युं को काजल , ऊ ह्यून को बादल , बुलूमै त्वे तु ऐ जा , ऊ धूप को आँचल , सुण यो गंग गाड़ , करमै डाड़ा डाड़ , तु ऐ जा औ पहाड़ , बंद यो घर द्वार , लागि र्यांन उजाड़ , तु ऐ जा औ पहाड़ ..... च्या रै छ तेरो बाटो , यो तेरी गौं की धार , फुलिग्यांन औ फूल , औ ऐ गै छ बहार , कफुवा ले उ पार , करमै डाड़ा डाड़ , तु ऐ और पहाड़ , बंद यो घर द्वार , लागि र्यांन उजाड़ , तु ऐ जा ....... कमै छ औ यो पीपल , कमै छ डाली - डाली , सुनी छ त्यरू बिना , यो होली दिवाली , यो घुगूति को त्यार , करमै डाड़ा डाड़ ,तु ऐ जा औ पहाड़ , बंद यो घर द्वार , लागि र्यांन उजाड़ , तु ऐ जा औ पहाड़ ....

Te dali ma ghuguti holi kafua hilansh | Garhwali song lyrics





तैं डाली मा घुघुती होली कफुआ हिलांश हो , तों सारयों मा फ्योंली फुली बणु मा बुराँश हो। अन्तरा 1 जौ की डाली मोरयों लोला थोला मेलों घुमन जौला ह्युंद को जाड़ो चा भारी आग चुला मा जगोला डांडी कांठयो रोल्यो पाख्यो लोंकदी कुयेडी छेगे ह्युं जमयू चा सिलड़ा पाखों छानियों मा लंपु बालिगे ब्यौ बरातयों कू बगत आयुं चा मालु का पतों मा पोंनखी खायोला। तैं डाली मा घुघुती होली कफुआ हिलांश हो , तों सारयों मा फ्योंली फुली बणु मा बुराँश हो। अन्तरा 2 खैरी विपदा युं डाँड़यों की अपणौं तै बिराणु कैगे बरसु बटी बिरडयों दिदा आज गौं का बाटा लैगी बद्रीनाथजी का धाम वेदनी बुग्याल भैगी खोली कु गणेश मोरी कु नरैण दैणु हवेगी जुगराजी रयान दयों दयबतों का थान है नगेला घंडियाल तुमारी भूमि महान। तैं डाली मा घुघुती होली कफुआ हिलांश हो , तों सारयों मा फ्योंली फुली बणु मा बुराँश हो।

Sunday, January 12, 2020 7:15 AM

Lyrics of garhwali song Ab lagalu mandaan





डोल बजी , दमाऊ बजीगे , बजीगे मशीका.. हां.... ज्वान बुड्या सभी छोरा नाचला , तू नाचलू कशीका अरे घपरोल मचैलू तभ औली यन रस्याण.. हां.... अरे हाँ... अब लगलू मंडाण अब लगलू मंडाण , आज लगलू मंडाण राती लगलू मंडाण मैं छोरी पहाडी , तू छोरा अनाड़ी तेरा हाथ नी औण्या , ना औ तू पिछाडी। तू छोरा अनाड़ी , मैं छोरी पहाडी , तेरा हाथ नी औण्या , ना औ तू पिछाडी।। अरेरे बात नि बड्णया , तू लगौ ना पछाण.. हां..... अरे हाँ... अब लगलू मंडाण अब लगलू मंडाण , आज लगलू मंडाण राती लगलू मंडाण । डोल, दमाऊ तचैक , घुंड्या, रांशू लगैक , लचकू नि आंयां , कमरी बचैक । घुंड्या रांशू लगैक , डोल, दमाऊ तचैक , लचकू नि आंयां , कमरी बचैक।। हे , थडिया चौंपूला तांदी लगैक त्वैन बगछट ह्लवे जांण ।। हां... अब लगलू मंडाण अब लगलू मंडाण , आज लगलू मंडाण राती लगलू मंडाण पकोडी बणी छ , थाल चौक लगीं छ आवा म्यारा पहाड , कनी तांदी लगीं छ।। पकोडी बणी छ , थाल चौक लगीं छ आवा म्यारा पहाड , कनी तांदी लगीं छ।। अरे देखी या रस्याण त्वैन रंगमत ह्वे जांण । हां.... अब लगौ तू मंडाण अब लगौ तू मंडाण , राती लगलू मंडाण , मेरा गौं मा मंडाण। अब लगलू मंडाण अब लगलू मंडाण , आज लगलू मंडाण राती लगलू मंडाण । × 2

Lyrics of पहाड़ी A Cappella-2 "गोठर दा बकम भम"


LYRICS OF CHAL KAPAT GARHWALI SONG



M- डांडा आछरियों का बंण सुबदा यखुली नी जैई-2
छल कपट ह्वैई जालु छोरी छलेई न रैई-2....
F- मेरा गौं की बात छन यार मैमा जादा तू ना बोली-2
यखुली रैण्या निन मैन गैल्याणी दगडा मा होली-2....
M- आंछरियों का बण सुबदा यकुली न जेई-2
खिखचाट न करी जादा खिखोला न लैई
ओहो खिखोला न लैई
घमाल्यां बगत लठयाली सुबदा रतकाली न जैई
छल कपट ह्वैई जालु छोरी छलेई ना रैई.....
F- सुबेरा कु घाम झिंलगी गौं का बिडवाल-2
दगडियाणी जागंणी होली गौं खुलीं जग्वाल
अंहा गौं खुलीं जग्वाल
देवथली भुमि छन यख छोरा भिंडि तु ना बोली
यखूली रैण्या निन मैन गैल्याणी दगडा मा होली.....
M- शैरा गौं का बोदा सुबदा तु किसाण भारी-2
काम काज खेती बाडी लगी‌ं सारा सारी
ओहो लगीं सारा सारी
बार त्यौहार हरची सुबदा थौलु मेलू जैई
छल कपट ह्वैई जालु छोरी छलेई ना रैई.....
F- कैन बोली कैमा सुंणी कु किसाण जादा-2
पकोण्या छुंई लगै न तू क्या तेरा इरादा
अंहा क्या तेरा इरादा
रोट शिरफल चडोलु घिची जादा तू ना खोली
यखूली रैण्या निन मैन गैल्याणी दगडा मा होली.....

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