नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गीतों में अन्तर्निहित भावों की सुन्दरता को आपने इससे पहले भी कई गीतों में इस साइट पर महसूस किया होगा। यही अन्तर्निहित भाव उनके गीतों अधिक सुन्दर व अर्थपूर्ण बनाते है। आज हम ऐसा ही भावनापूर्ण गीत आपके सामने लेकर आ रहा हैं। इस गीत में पहाड़ के अधिकांश विवाहित जोड़ों की तरह पति पहाड़ से बाहर जाकर नौकरी कर रहा है और स्त्री गांव में रहकर घर व खेतों की देखभाल कर रही है व परिवार का पालन-पोषण कर रही है। विरहरस से भरे इस गाने में एक दूसरे से दूर रह रहे पति-पत्नी परस्पर दुख बांटने की चेष्टा को व्यक्त कर रहे हैं। स्वयं अनेक दुख सहते रहने के बावजूद दूसरे के सुख की कामना करने की भावनाएं इस गाने में उच्चतम शिखर को छू गई हैं। अनुराधा निराला और नरेन्द्र सिंह नेगी जी की आवाज से सजा यह गाना “खुद” नामक वीडियो एलबम में आ चुका है। इसका ऑडियो-वीडियो टी. सीरीज से निकला है।



भावार्थ - पति कहता है – तुम्हारे दुख को समझ कर यदि मेरे भी दो आंसू निकल पड़े तो तुम्हारा दर्द कुछ कम हो जायेगा, इसलिये तुम अपने दुख को छुपा कर न रखो। पत्नी कहती है – आप भी अपने दिल की बात को चिट्ठी में लिख दोगे तो आपका भी जी हल्का हो जायेगा।

पति – ऐसा अनजाने में भी कभी न हो कि वहां तुम्हारे हृदय में कांटें चुभ रहे हों और मैं फूलों पर चल रहा होऊं, न हो कभी न हो।

पत्नी – वहां तुम्हारे आंखों से आंसू टपक रहें हों और मैं यहां किसी बात पर खिलखिला कर हंस रही होऊं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। आप अपने दिल की बात को चिट्ठी में लिख दोगे तो आपका भी जी हल्का हो जायेगा।

पत्नी – वहां तुम्हारे चूल्हे में आग भी न जली हुई हो और मैं यहां पकवान बनाती रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो.

पति – वहां तुम्हारा गला प्यास से सूखा रहे औरमैं यहां सभी सुविधाओं से तृप्त रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। तुम अपना दुख किसी के साथ बांट लेना,इससे दुख कुछ कम हो जायेगा, इसे छिपान मत।

पति – वहां तुम मेरे ख्यालों में खोई रहो और मैं तुमसे मिलने की आस छोड़ दूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो।

पति – वहां आपके हाथों से कलम छूट जाये और मैं यहां आपके पत्र का इन्तजार करती रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। अगर आप अपने दिल की बात चिट्टी में लिख दोगे तो आपका जी हल्का हो जायेगा।

पति – तुम्हारे दुख को समझ कर यदि मेरे भी दो आंसू निकल पड़े तो तुम्हारा दर्द कुछ कम हो जायेगा, इसलिये तुम अपने दुख को छुपा कर न रखो।

गीत के बोल देवनागिरी में



पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई

महिला स्वर : ज्यू हल्कु ह्वै जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई

पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

पुरुष स्वर : तख तेरि कळेजि कांड़ों दुपि हो – यख रो मि फूलो मां हिटणुं,
न हो कखि अजाणम ना हो – ना हो
महिला स्वर : तख तेरि आंखि आंसुन भरि हो, यख रो मैं खित-खित हैंसणुं,
न हो कभि अजाणम न हो – न हो
ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई
पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

महिला स्वर : तख तेरा चुल्ला उन्द आग न जगि हो, यखि रों मैं तै का चढाणुं
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
पुरुष स्वर : तखि तेरि गौळि हो तिसळ उबाणि, यख रौ मैं छमौटा# लगाणुं
न हो कभि अजाणम न हो – न हो
दुख हल्को ह्वै जालो तेरो भि, बांटि लेई दुख ना छुपैई
महिला स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

पुरुष स्वर : तख तेरि स्यांणि हो मैं खोज्याणि, यख छोड़ि दयु आस पलणु
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
महिला स्वर : तख तेरा हाथ बिटि छुटि जौ कळम, यख रौं मैं चिठ्युं जग्वल्णूं
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई
पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

# छमौटा – पानी की धार के नीचे हाथ लगाकर पानी पीना