Saturday, October 28, 2017 7:03 AM

Chait ki chaitwali song lyrics





छोरी ........
उड़नेडू एग्याय रे चैता की चैत्वल्या
चैता की चैत्वाल्या
चैता की चैत्वाल्या हा हा
शिव जी का बागवान सची फूल फुल्या छन ..
अरे फूल फूल्या छन ..
हा फूल फूल्या छ ना ना
 *************garhwali song lyrics *************************
हाथयो मा धरयु चा तेरु  रेशमी रूमाला
सचे मुंड मा धरयु च तेरु घासी को घडुआ .
बल हाथयो मा धरयु चा तेरु  रेशमी रूमाला
सचे मुंड मा धरयु च तेरु घासी को घडुआ .
बल रेशमी रुमालना भवरा हका ले ..
पोथला उड़े ले ...पोथला उड़े ल्या हा हा
बल रेशमी रुमालना भवरा हका ले ..
पोथला उड़े ले ...पोथला उड़े ल्या हां हां ...

 *************garhwali song lyrics ************************* 
खुट्यु की झवरी तेरी छुम छुम बजली
तु ता ठुम ठुम हिटेली
बल  खुट्यु की झवरी तेरी छुम छुम बजाली
तुता ठुम ठुम हिटेली
तुतो बिग्रेली घुट्यो न
सचे कनु खेल लगेली
अरे पिफले डाली मुड़ी तू चौफली खेलली
चोपत्ति खेल ली .
चोपत्ति खेल ली ..ल्या हां हां
बल पिफले डाली मुड़ी तू चौफली खेलली
चोपत्ति खेल ली
चोपत्ति खेली ..ल्या हां हां

 *************garhwali song lyrics *************************
तड़तड़ी नाकुड़ी तेरी  सुडसुडी नाकुड़ी तेरी  
संगुली सी बुलाक तेरी . ,
तड़तड़ी नुकड़ीनदा छोरी , भली बीराजी दीन्दा
सची भुराणी लटुली
अरे भूराणी लटुली तेरी डांडाती फुरमा ..
छोरी फुर फुरा उडाली
मन मा खित खिता हैसदी ..
तू का देखा देके जाना
भुराणी लटुली व् फुरर फुरा उड़े ले
फुर फुरा उड़ेले फुर फुरा उड़े ल्या हा हा ..
बल घुन्ग्रयाली लटुली व् फर फुरा उड़े ले ..
फुर फुरा उड़ेले फुर फुरा उड़े ल्या हा हा ..

 *************garhwali song lyrics *************************
सुवापंखी साडी तेरी मखमली अंगिया तेरी पिंगली चादरी
सुवापंखी साडी तेरी मखमली अंगिया तेरी पिंगली चादरी
सचे रासुल्या का बीच , छोरी डांडा की कुले मा
पिंगली चादरी व् फुर फुरा उड़ेले
फुर फुरा उड़ेले
फुर फुरा उड़े ल्या हां हां ..
बल भला भला फूलो की चोंसरी बणे ले
फूलमाला गड़े ले ..चोंसरी बाणे ल्या हां हां
पैल्या की फूलमाला तू बद्री चढे ले ..
बल दूसरी फूलमाला तू केदार चढे ले .
बल पैल्या की फूलमाला तू बद्री चढे ले ..
बल दूसरी फूलमाला तू केदार चढे ले .

 *************garhwali song lyrics *************************
बल तीसरी फूलमाला हरिद्वार चढे ले ..
हरिद्वार चढे ले
हरिद्वार चढे ल्या   हां हां ...’
बल तीसरी फूलमाला हरिद्वार चढे ले ले ..
हरिद्वार चढे ले ले ..
हरिद्वार नहे ल्या   हां हां ...




  

Sunday, September 10, 2017 9:03 PM

Ikhi prithvi ma ikhi janam ma



नरेन्द्र सिंह नेगी जी द्वारा गाये बहुत से गाने ऐसे है जिनमें उपमायें, भाव पूरी तरह से नये तरीके हैं। कुछ गाने आप पहले भी सुन चुके हैं जैसे रोग पुराणु कटे ज़िन्दगी नई ह्वैगे, तेरु मुल – मुल हैंसुणु दवाई ह्वैगे या फिर त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु । आज प्रस्तुत है इसी तरह का एक और गाना। इसका भावार्थ करना कफी कठिन है। इसलिये हम इसके भावार्थ के साथ साथ इसका पद्यानुवाद भी दे रहे हैं। इस गाने में प्रेमी एक सुन्दरी को देख कर यह समझ नहीं पा रहा है कि उसने उसने सुन्दरी को कहाँ देखा है, स्वपन में या फिर यह मात्र उसका भ्रम है। उस सुन्दरी को देख उसके मन में जिस तरह के भाव आते हैं उन्ही को नये तरीके के उपमानों द्वारा व्यक्त किया गया है।
भावार्थ : इस ही पृथ्वी में, इस ही जनम में कहीं तो देखा है उस सुन्दरी को, वह सुन्दरी जो अब मन में बस चुकी है। मेरी यह समझ में नहीं आ रहा है कि उसे किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
वह पराये की क्यारी से चोरी की गई ककड़ी जैसी है, उधार में मिली पकोड़ी जैसी स्वादिष्ट है वो। कांटों के बीच छुपे हिसालू फल के गुच्छे सी, पिंडालू (अरबी) के पत्ते पर चमकती पानी की बूंद सी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
किसी देवाने बुढ़े द्वारा देखे गये शादी के दिवा स्वप्न जैसी, गरमी की धूप में किसी झरने के शीतल जल की तरह है वो। काले बादलों के बीच चमकती चांदनी की तरह, दाता के मुंह को ताकते किसी भिखारी की नजर की तरह, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
सरदियों के दिनों में गुनगुनी धूप जैसी है वो, किसी बच्चे मन में दूध-भात के लिये उठती आतुरता जैसी है वो। मिर्च से भरे खाने बाद मिली खीर जैसी मीठी, परदेश में मिलने वाली घर की चिट्ठी जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
शादी बारात में सालियों द्वारा दी गयी गाली जैसी, नाती पोतों को मिलने वाली दादी की ’झप्पी’ जैसी है वो। भूखे के आगे भोजन से भरी थाली जैसी, आंगन के कोने पर आती नारंगी की डाली जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
सोने जैसे सुन्दर गले में मोतियों की माला जैसी सुन्दर, पानी भरे बर्तन में चांद की परछाई जैसी सुन्दर, घनी अंधेरी रात में मशाल के प्रकाश जैसी, अंधेरे मन में आशा के उजाले जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।
गीत के बोल देवनागिरी में
इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां
देखि त छैं च कख देखि होलि,
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां, रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां
देखि त छैं च कख देखि होलि- कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, देखि त छैं च कख देखि होलि
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां,
देखि त छैं च कख देखि होलि – कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
चोरी काखड़ि, बिरानि सगोड़ीकि सी – छै वा , चोरी काखड़ि, बिरानि सगोड़ीकि सी – छै वा
सवादि येनि कि पैणेकि पकोड़ि सी – छै वा
काड़ों का बोटूमा हिंसारे गुन्दसि, पिंडाळू पातुमा उंसिकी बुन्दसि – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
दाना दिवाना कि ब्योवाकि गांणि सी – छै वा , दाना दिवाना कि ब्योवाकि गांणि सी – छै वा
रुड़्यूं का घामूमा छोय्याको पांणि सी छै वा
बादळु बीचमा जूनी झलक्क सी, दाता का मुक्क मा मंगत्याकि टक्क सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू , कि बैम रै होलू ?
ह्यूंदि का दिनूमां घामै निवात्ति सी – छै वा , ह्यूंदि का दिनूमां घामै निवात्ति सी – छै वा
बाला का मनैकि स्यांणि दुद भात्ति सी – छै वा
मरच्यांणा खाणामा खीर जन मिट्ठि सी , दूर परदेस मा घोरैकि चिट्ठी सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
ब्यो बर्यात्युं मां स्याळि सी गाळि सी – छै वा , ब्यो बर्यात्युं मां स्याळि सी गाळि सी – छै वा
नाति नत्येणों पर दादी अंग्वालि सी – छै वा
भूखा का अगाड़ी भोजने थालि सी, चौका तिराळि नारंगि डालि सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
सूनैकि गौलिमा मोत्युंकि माला सी – छै वा , सूनैकि गौलिमा मोत्युंकि माला सी – छै वा
पांणिकि तौलिमा जूनि सौंडल्या सी – छै वा
औंसिकि घनाघोर राति मुछ्यालि सी – अंधेरा मन मां आसै उज्यालि सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, देखि त छैं च कख देखि होलि
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां, देखि त छैं च कख देखि होलि – कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
गीत का पद्यानुवाद
इसी धरती पर इसी जनम में, देखा तो है पर देखा कहाँ
रूपसी जो बसी है मन में, देखा तो है पर देखा कहाँ, देखा कहाँ
स्वप्न है ये, या है ये वहम….
पराये के घर से चोरी ककड़ी सी है वो, भूखे को दान में मिली पकौड़ी सी है वो,
काटे भरे पेड़ में हिसालू की फून्द, पिंडालू के पात में ओस की बूँद
स्वप्न है ये, या है ये वहम….
दीवाने बूढ़े  के शादी के सपने सी है वो, गरमी की धूप में ठंडे पानी सी है वो,
काले बादल में चांदनी की झलक, दाता को तकते भिखारी की ललक
स्वप्न है ये, या है ये वहम….
सरदी के महीने की गुनगुनी धूप सी है वो, दूध की बच्चे को लगी भूख सी है वो,
मिर्च खाने के बाद मिली खीर जैसी, परदेश में राँझा को मिली हीर जैसी
स्वप्न है ये, या है ये वहम….
शादी में साली की प्यारी गाली सी है वो, दादी की गोद में मिली खुशहाली सी है वो,
भूखे के आगे ज्यों भोजन की थाली,  आँगन की कोने में नाँरगी की डाली
स्वप्न है ये, या है ये वहम….
सोने से गले में मोती की माला सी है वो, पानी के बर्तन में चांद की छ्टा सी है वो,
घने अंधकार में जलती मशाल सी, अंधेरे मन में आस के उजाले सी
स्वप्न है ये, या है ये वहम…
इसी धरती पर इसी जनम में, देखा तो है पर देखा कहाँ
रूपसी जो बसी है मन में, देखा तो है पर देखा कहाँ, देखा कहाँ
स्वप्न है ये, या है ये वहम…..

Ghuguti ghuron lagi



उत्तराखण्ड का लोकसंगीत न्यौली और खुदैड़ जैसे विरह गीतों से भरा पड़ा है। इन गीतों का अधिकांश भाग विवाहित महिलाओं पर आधारित है जो विकट ससुराल के कष्टपूर्ण जीवन को कोसते हुए मायके के दिन याद करती हैं। पहाड़ के गांवों में महिलाओं का जीवन अत्यंत संघर्षशील और कष्टप्रद है। दिनभर खेत-खलिहान-जंगल, मवेशियों और घर-परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभालने वाली मेहनतकश, मजबूत नारी को सामान्यत: इतना अवकाश भी नहीं मिल पाता कि वह अपने मायके को याद कर पाये। लेकिन जैसे ही चैत (चैत्र) का महीना लगता है एक जंगली पक्षी "घुघूती" की उदासी भरी आवाज सुनकर महिलाओं को बरबस अपने मायके की याद आ जाती है। ससुराल में रहते हुए वह अनुमान लगाती है कि इस समय उसके मायके के कैसे हाल-चाल होंगे।
यह एक बहुत पुराना लोकगीत है जिसे काफी पहले नरेन्द्र सिंह नेगी जी अपनी एक ओडियो कैसेट में गाया था। यहाँ हम उस पुराने ऑडियो को और नये वीडियो वाले गीत दोनों को प्रस्तुत कर रहे हैं। इसका वीडियो नेगी जी के "चलि भै मोटर चली" वीडियो एलबम में मीना राणा की आवाज में गाये गये गाने को लेकर फिल्माया गया है।
भावार्थ - फिर से चैत का महीना लौट आया है और मेरे मायके की घुघुती अपनी उदासी भरी आवाज में "घुंराणे" (आवाज करने) लगी है। मेरे मायके के सामने दिखने वाले पहाड़ों की बर्फ अब शायद पिघलने लगी होगी और जंगल पुन: पल्लवित होने लगे होंगे। नवजात पक्षी अब अपने घोंसलों से निकलकर उड़ने लगे होंगे, जंगलों में सुन्दर लाल बुरांश के फूल खिलने लगे होंगे। फूल और पत्तियां लेकर गांव के बच्चे सभी घरों की देहरियों पर जाकर पूजन कर रहे होंगे। [फूलदेई पर्व में देहरियाँ पूजी जाती हैं] और मेरे सौभाग्यशाली सहेलियां मिलकर उत्साह और उमंग से भरे थड़्या और चौंफुला नृत्यों  में मग्न होंगी। मेरे मायके वाले घर की चौखट पर बैठे मेरे पिताजी उदास बैठे होंगे और मेरी बीमार माँ मेरी राह देखती होगी। मेरे मायके की तरफ़ से आने वाला कोई आदमी मेरे भाई-बहनों की राजी-खुशी की खबर ले आता तो कुछ तसल्ली मिलती।
गीत के बोल देवनागिरी में
[ मीना राणा द्वारा गाये गीत में कुछ शब्दों का उच्चारण भिन्न है जैसे उसमें ‘म्यारा’ की जगह ‘मेरा’, ‘बौण’ की जगह ‘बण’ व ‘ह्वाला’ की जगह ‘होला’ गाया गया है।]
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु,ऋतु चैत की
डांणी कांठ्यूं को ह्यूं, गौली गै होलो, म्यारा मैता को बौण, मौली गै होलो
डांणी कांठ्यूं को ह्यूं, गौली गै होलो, म्यारा मैता को बौण, मौली गै होलो
चाकुला घोलू छोड़ि उड़णा ह्वाला, चाकुला घोलू छोड़ी उड़णा ह्वाला
बैठुला मेतुड़ा कु, पैटणा ह्वाला
घुघूती घुरूंण लगी हो… .
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की
डाण्यूं खिलणा होला बुरसी का फूल, पाख्यूं हैंसणी होली फ्योली मुल-मुल
डाण्यूं खिलणा होला बुरसी का फूल, पाख्यूं हैंसणी होली फ्योली मुल-मुल
कुलारी फुल-पाति लैकि दैल्यूं- दैल्यूं जाला, कुलारी फुल-पाति लेकी, दैल्यूं- दैल्यूं जाला
दगड़्या भग्यान थड़या-चौंफला लगाला
घुघूती घुरूंण लगी हो…
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की
तिबरि मां बैठ्या ह्वाला बाबाजी उदास, बाटु हैनी होली मांजी लागी होली सास
तिबरि मां बैठ्या ह्वाला बाबाजी उदास, बाटु हैनी होली मांजी लागी होली सास
कब म्यारा मैती औजी दिसा भैटि आला, कब म्यारा मैती औजी, दिसा भैटि आला
कब म्यारा भै-बैंणों की राजि-खुशि ल्याला
घुघूती घुरूंण लगी हो…
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु ,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की
ऋतु, ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की ऋतु, ऋतु चैत की ऋतु, ऋतु चैत की...
Note:- चैत महीना व भिटौली अल्मोड़ा में लोग अपनी कुंवारी कन्याओं को भी भिटोली देते हैं जिसमें वे लोग पूरी, सै (चावल का व्यंजन), मिठाई, कपडे और रुपये आदि अपनी लड़कियों को देते हैं तथा मोहल्ले की लड़कियों को पूरी, सै ,मिठाई और रुपये देते हैं.इस प्रकार यह भिटोली पूरे मोहल्ले में बांटी जाती है, लेकिन जिन घरों में लड़कियाँ नहीं होती हैं,वहाँ रुपये को छोड़ कर केवल पकवान दिए जाते हैं.

Tuesday, August 22, 2017 11:36 PM

हाय तेरी रुमाला



हाय तेरी रुमाल ,है तेरी रुमाल
गुलाबी मुखड़ी।
के भली छजी रे नाक की नथुली।
अहा के भली छजी रे नाक की नथुली।

हाय तेरी रुमाल ,है तेरी रुमाल
गुलाबी मुखड़ी।
के भली छजी रे नाक की नथुली।
अहा के भली छजी रे नाक की नथुली।

{हाय तेरी रुमाल ,हाय तेरी रुमाल
गुलाबी मुखड़ी।
के भली छजी रे नाक की नथुली।
अहा के भली छजी रे नाक की नथुली।
}

गले गलोबन्द हाथो की धगुली
गले गलोबन्द हाथो की धगुली
चम् चम् चमकी रे फरा  की बिंदुली।
चम् चम् चमकी रे फरा  की बिंदुली।

हाय तेरी रुमाल ,है तेरी रुमाल
गुलाबी मुखड़ी।
के भली छजी रे नाक की नथुली।
अहा के भली छजी रे नाक की नथुली।




Monday, July 3, 2017 2:21 AM

Teri peeda ma dwi aansu mera bhi




नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गीतों में अन्तर्निहित भावों की सुन्दरता को आपने इससे पहले भी कई गीतों में इस साइट पर महसूस किया होगा। यही अन्तर्निहित भाव उनके गीतों अधिक सुन्दर व अर्थपूर्ण बनाते है। आज हम ऐसा ही भावनापूर्ण गीत आपके सामने लेकर आ रहा हैं। इस गीत में पहाड़ के अधिकांश विवाहित जोड़ों की तरह पति पहाड़ से बाहर जाकर नौकरी कर रहा है और स्त्री गांव में रहकर घर व खेतों की देखभाल कर रही है व परिवार का पालन-पोषण कर रही है। विरहरस से भरे इस गाने में एक दूसरे से दूर रह रहे पति-पत्नी परस्पर दुख बांटने की चेष्टा को व्यक्त कर रहे हैं। स्वयं अनेक दुख सहते रहने के बावजूद दूसरे के सुख की कामना करने की भावनाएं इस गाने में उच्चतम शिखर को छू गई हैं। अनुराधा निराला और नरेन्द्र सिंह नेगी जी की आवाज से सजा यह गाना “खुद” नामक वीडियो एलबम में आ चुका है। इसका ऑडियो-वीडियो टी. सीरीज से निकला है।



भावार्थ - पति कहता है – तुम्हारे दुख को समझ कर यदि मेरे भी दो आंसू निकल पड़े तो तुम्हारा दर्द कुछ कम हो जायेगा, इसलिये तुम अपने दुख को छुपा कर न रखो। पत्नी कहती है – आप भी अपने दिल की बात को चिट्ठी में लिख दोगे तो आपका भी जी हल्का हो जायेगा।

पति – ऐसा अनजाने में भी कभी न हो कि वहां तुम्हारे हृदय में कांटें चुभ रहे हों और मैं फूलों पर चल रहा होऊं, न हो कभी न हो।

पत्नी – वहां तुम्हारे आंखों से आंसू टपक रहें हों और मैं यहां किसी बात पर खिलखिला कर हंस रही होऊं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। आप अपने दिल की बात को चिट्ठी में लिख दोगे तो आपका भी जी हल्का हो जायेगा।

पत्नी – वहां तुम्हारे चूल्हे में आग भी न जली हुई हो और मैं यहां पकवान बनाती रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो.

पति – वहां तुम्हारा गला प्यास से सूखा रहे औरमैं यहां सभी सुविधाओं से तृप्त रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। तुम अपना दुख किसी के साथ बांट लेना,इससे दुख कुछ कम हो जायेगा, इसे छिपान मत।

पति – वहां तुम मेरे ख्यालों में खोई रहो और मैं तुमसे मिलने की आस छोड़ दूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो।

पति – वहां आपके हाथों से कलम छूट जाये और मैं यहां आपके पत्र का इन्तजार करती रहूं, न हो ऐसा अनजाने में भी कभी न हो। अगर आप अपने दिल की बात चिट्टी में लिख दोगे तो आपका जी हल्का हो जायेगा।

पति – तुम्हारे दुख को समझ कर यदि मेरे भी दो आंसू निकल पड़े तो तुम्हारा दर्द कुछ कम हो जायेगा, इसलिये तुम अपने दुख को छुपा कर न रखो।

गीत के बोल देवनागिरी में



पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई

महिला स्वर : ज्यू हल्कु ह्वै जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई

पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

पुरुष स्वर : तख तेरि कळेजि कांड़ों दुपि हो – यख रो मि फूलो मां हिटणुं,
न हो कखि अजाणम ना हो – ना हो
महिला स्वर : तख तेरि आंखि आंसुन भरि हो, यख रो मैं खित-खित हैंसणुं,
न हो कभि अजाणम न हो – न हो
ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई
पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

महिला स्वर : तख तेरा चुल्ला उन्द आग न जगि हो, यखि रों मैं तै का चढाणुं
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
पुरुष स्वर : तखि तेरि गौळि हो तिसळ उबाणि, यख रौ मैं छमौटा# लगाणुं
न हो कभि अजाणम न हो – न हो
दुख हल्को ह्वै जालो तेरो भि, बांटि लेई दुख ना छुपैई
महिला स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

पुरुष स्वर : तख तेरि स्यांणि हो मैं खोज्याणि, यख छोड़ि दयु आस पलणु
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
महिला स्वर : तख तेरा हाथ बिटि छुटि जौ कळम, यख रौं मैं चिठ्युं जग्वल्णूं
न हो कखि अजाणम न हो – न हो
ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई
पुरुष स्वर : तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई – पिड़ा ना लुकेई

# छमौटा – पानी की धार के नीचे हाथ लगाकर पानी पीना

Monday, May 22, 2017 5:24 AM

Meri dyuti border : Kumauni Song By Udit Narayan



मेरी ड्यूटी बोर्डर ओ आकाश का  तारा..
मेरी ड्यूटी बोर्डर ओ आकाश का तारा..
घर में छे मेरी जान भोत बिमारा...
घर में छे मेरी जान भोत बिमारा...

मेरी ड्यूटी बोर्डर ओ आकाश का तारा..
घर में छे मेरी जान भोत बिमरा...

कध मी घोर जोलु ,मिके ते पत्न हे ..
कध मी घोर जोलु ,मिके ते पत्न हे ..
फौजी होनी मेरी इजा ..बादल आवारा..

मेरी ड्यूटी बोर्डर ओ आकाश का तारा..
घर में छे मेरी जान भोत बिमरा...
घर में छे मेरी जान भोत बिमरा...


He Dilli Wala Dyura Lyrics - Narendra Singh Negi & Meena Rana



इस गाने में नयी नयी शादी शुदा वाली नारी का दुःख को प्रकट किया गया है, जिसका आदमी शादी करके अपनी नौकरी पर दिल्ली गया और अभी तक अपने घर वापिस नहीं आया है, वह औरत दिल्ली से आये किसी अन्य युवक से अपने पति के हाल-चाल जानने को उत्सुक है.. बङा अर्थपूर्ण और मार्मिक गाना है, एक बार फ़िर नेगी जी ने "पलायन" की समस्या पर अपनी सशक्त कलम चलायी है...
हे दिल्ली वला दयुरा, हे दिल्ली वला ...........
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..२
चोंठी मा तिल वाली भोजी, चोंठी मा तिल वली.......
चोंठी मा तिल वली भोजी हुन्दू क्वी अता पता भेजी कु त खोजी ल्यान्दा....2
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..
भंडी बरस व्हेगीन यून्की, चिट्ठी पतरी ना खबर सार ....2
नयु- नयु ब्यो व्हे छो हमरू, छोड़ी चली गीन घरबार
चोंठी मा तिल वली भोजी हुन्दू क्वी अता पता भेजी कु त खोजी ल्यान्दा
मैं शक-सुभा हूनू भोजी फड़कणी च आँखी मेरी....2
भेजी मेरु रशिलू मिजाज, क्वी बाँध ना हो तख धेरीं
हट ठठा ना कर भे दयुरा, स्यना त नि छिन तेरा भेजी
छोवं आश मा कभी त ल्याली, मेरी खुद तों खेन्ची खेन्ची
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..
तू फिकर ना कर बो पंछी, कख जालू घोलू छोड़ी
बाटू बिरर्युं च भेजी, ए जालू त्वेमा बोड़ी
चोंठी मा तिल वाली भोजी, काटेनी तिन भी दिन याखुली रून्दा रून्दा..

Wednesday, April 19, 2017 3:07 AM

O sathi O sathi | Jonsari song | Lyrics



झुरो लगी तेरी पानी पि बे न ..
न जाओ किछे बी खाए न ..
{तेरी कानो बे झुमके )
ओ साथी ओ साथी ओ साथी 
तेरी चिट्ठी पोत्री आयी न ..
ओ साथी ओ साथी ओ साथी 
तेरी चिट्ठी पोत्री आयी न ..
झुरो लगी तेरी पानी पि बे न ..
न जाओ किछे बी खाए न ..
झुरो लगी तेरी पानी पि बे न ..
न जाओ किछे बी खाए न ..
ओ साथी ओ साथी ओ साथी 
तेरी चिट्ठी पोत्री आयी न ..
ओ साथी ओ साथी ओ साथी 
तेरी चिट्ठी पत्री आयी न ..
{तेरी कानो रे  झुमके  )
{तेरी कानो रे  झुमके  )
{तेरी कानो रे  झुमके  )

होके भी जोतके शोरे बुबा तेरु  
सुनी येई खाबिरो हाय बोले ..
सुनी येई खाबिरो .
सोचो कोसे लिखेवेवा साएबा येही मेरी तकदीरो ..
हाय बोले येही मेरी तकदीरो ..

ताऊ बटो दा नेड़ेदा ..
बटो दा नेड़ेदा .तखी लगा टेडदा 
साथी आई बरसात ...
तेरी चिट्ठी पोत्री ..
{तेरी कानो रे  झुमके  )
जुमके  जुमके...
तेरी चिट्ठी पोत्री ..
ओ बठिण तेरो ..
तेरी चिट्ठी पोत्री आये न ..

लगा सारा उमर की दागो ..
फूटे मेरे मथुरे भागो ..
जियो पदों फिकरो ..सथो न
विशवास होयो न बातो न .
सथिनी मिली थी तेरो साथो की 
बात तेरी किछी भी लायी न ..
ओ साथी ओ साथी ओ साथी 
तेरी चिठी पत्री आई न ..




Meri Gajina Pandavas | Super Hit garhwali song Lyrics




रे गयो मै तवे देखदी रे गयो मै ..मेरी गजिना
गजीना त्वे देखदी रे गयो में .. मेरी गजिना  ..
गजीना त्वे देखदी रे गयो में .. मेरी गजिना  ..
ओ जिया ..त्वे देखदी रे गयो में .. मेरी गजिना  ..
गजिना पूछादी पूछादी रो मेरी गजिना ..
ओ जिया तेरा गौ मा एगयो में मेरी गजिना ..
गजिना पूछादी पूछादी रे मेरी गजिना ..
ओ जिया तेरा गौ मा एगयो में मेरी गजिना ..

{{गजिना पूछादी पूछादी रे मेरी गजिना ..
ओ जिया तेरा गौ मा एगयो में मेरी गजिना ..}}

गजिनो मुल मुल तेरु  हैसनो ..मेरी गजिना ..
गजिना....हा मुल मुल मुल तेरो हैसनो .
गजिना मुल मुल तेरु  हैसनो ..मेरी गजिना ..
गजिना मुल मुल तेरी हैसी ह्वे ..मेरी गजिना ..
गाजिना तवे बिना लाठ्याली रे मेरी गाजिना..
ओ जिया... नि रएंदु मेसी रे मेरी गजिना..
गाजिना त्वे बिना भग्यानी रे मेरी गाजिना..
ओ जिया ..नि रएंदु मेसी रे मेरी गजिना..

गजीना................आ........आ.........आ...........

{गजीना चौन्ठी मा कु तिला हो ..मेरी गजीना ..
गजीना चौन्ठी मा जु  तिला हो ..मेरी गजीना ..}

गजीना चौन्ठी मा जु  तिल हो ..मेरी गजीना .
ओ जिया चौन्ठी मा जु  तिला हो ..मेरी गजीना .

गजीना त्वे मा लगी मेरु मन..मेरी गजिना
ओ जिया .क्या च तेरा दिल मा ..मेरी गजीना...

गजीना त्वे मा लगी मन मेरु ...मेरी गजीना..
ओ जिया क्या च तेरा दिल मा .......

 गजिना बासली कुखुड़ि ले मेरी गजिना

गजिना बासली कुखुड़ि ले. मेरी गजिना

गजिना.. बासली कुखुड़ि ले मेरी गजिना
गजिना बासली कुखुड़ि ले मेरी गजिना
गजिना जियूंद बसिगे ले मेरी गजिने
ओ जिया तेरी स्वाणी मुखड़ी वे  मेरी गजिना..
गजिना जियूंद बसिगे ले मेरी गजिने
ओ जिया तेरी स्वाणी मुखड़ी वे  मेरी गजिना..

{गजिना जियूंद बसिगे ले मेरी गजिने}
ओ जिया तेरी स्वाणी मुखड़ी वे  मेरी गजिना..

{गजिना जियूंद बसिगे ले मेरी गजिने
ओ जिया तेरी स्वाणी मुखड़ी वे। ...  मेरी गजिना.. }







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