श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी का बौत ही सुन्दर गीत -->>
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घ्याल मच्युं यख मनख्यु कु
भिबडाट च मोटर कारु कु
घ्याल मच्युं यख मनख्यु कु
भिबडाट च मोटर कारु कु.!
तेरी मयलु बँसुरी बौण भुलु
नीच युं शहरु बजारु कु
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा
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तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु
रमणा होला गोर डांडो मा
तेरु गौं देखणु होलु तेरु बाटु
रमणा होला गोर डांडो मा.!
खोजणा होला त्वेथे तेरा अपडा
तु कख अलझी यख कांडो मा.!
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यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी
होओ होओओओओओओओ
यख रिश्ता नाता नी मन्दु क्वी
बस नजर च गेडी कांठ्युं मा
जा लौट जा डांडी काठ्युं मा.!!
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को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी
को पेलु भुकी चोंठी पकडी
को मलासलु लाटा मुन्डी तेरी
को पेलु भुकी चोंठी पकडी.!
क्वी नी सुणदु खैरी केकी
लिजा अपडी पीडा अफु दगडी
खोटी हैंसी हैंसदन भेर
होओ ओहहहहह
खोटी हैंसी हैंसदन भेर
छन पित्त पक्याँ यख जिकुड्यु मा
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा.!!
छन लोग कमाणा दिन रात
नी बगत द्वी गप्पा खाणा कु
छन पलंग बिछ्यां यख कमरों मा
नी टेम घडेकु सीणा क.!
हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु
होओ ओहहहह
हर्च्युं चा दिनु कु चैंन भुलु
बिरडी चा नींद यख रात्युं मा
जा लौट जा डांडी कांठ्युं मा.!
वो मयलु पराण वा मनख्यत
नी राई यखे हव्वा पाणी मा
वो मयलु पराण वा मनख्यत
नी राई यखे हव्वा पाणी मा.!
यख मनखी मशीन वेगे भुल्ला
दिन रात च खैंचा ताणी मा
क्या सोची ऐ तु यख लाटा
होओ ओहहहहहह
क्या सोची ऐ तु यख लाटा
त्वे लोग बैठाला आँख्युं मा
जा लौट जा डांडी कांठ्यूं मा.!!
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