मेरा डांडी कान्ठ्यूं का मुलुक जैल्यु बसंत ऋतु मा जैई,
बसंत ऋतु मा जैई..........
हैरा बणु मा बुरांशी का फूल जब बणाग लगाणा होला,
भीटा पाखों थैं फ्यूंली का फूल पिंगल़ा रंग मा रंगाणा होला,
लय्या पय्यां ग्वीर्याळ फुलू न होली धरती सजीं देखि ऐई. बसंत ऋतु मा जैई..........

बिन्सिरी देळयूं मा खिल्दा फूल राति गौं गौं गितान्गु का गीत,
चैती का बोल औज्युं का ढोल मेरा रौन्तेळl मुल्कै की रीत,
मस्त बिगरैला बैखु का ठुमका बांदू का लसका देखि ऐई. बसंत ऋतु मा जैई..........

सैणा दमाला अर चैते बयार घस्यारी गीतुन गुन्ज्दी डांडी
खेल्युं मा रंगमत ग्वैर छोरा अटगदा गोर घमणान्दी घांडी
उखी फुंडै होलू खत्युं मेरु बि बचपन उक्रि सकिलि त उक्री क लैयी. बसंत ऋतु मा जैई..........