दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। …
दादू मेरि सोंज्यडया च काफू
दादू मेरि गेल्या च हिलांसी। .झम झम ले। .
छायो मि भाजी को प्यारु
छायो मि मांजी को लादुलो
छो मेरा गोल को हंसुलो
दादू रे बोजी को भिन्तुलो।।
दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। … झम झम ले
दादू मिन रोंस्लयों का बीच
बेठी की बांसुरी बजेनी
दादू मिन चेरी की चुराखियो ल
चल्कदा ह्युन्च्ला दिखेनी
झम झम ले दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले।
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। …
दादू मेरि सोंज्यडया च काफू
दादू मेरि गेल्या च हिलांसी। .झम झम ले। .
छायो मि भाजी को प्यारु
छायो मि मांजी को लादुलो
छो मेरा गोल को हंसुलो
दादू रे बोजी को भिन्तुलो।।
दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। … झम झम ले
दादू मिन रोंस्लयों का बीच
बेठी की बांसुरी बजेनी
दादू मिन चेरी की चुराखियो ल
चल्कदा ह्युन्च्ला दिखेनी
झम झम ले दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले।
nice
ReplyDeleteये गीत कन्हैया लाल डंडरियाल जी ने लिखा है।
ReplyDeleteअप्रतिम, मन को आंदोलित कर देता है ये गीत।
ReplyDeleteजब भी सुनता हूं।