आज कुजनी किलेकी गाँव की याद आणि चा 
मुल्की भाई बन्द सबु की खुद सताणी चा 
आज कुजनी किलेकी गाँव की याद आणि चा 
कुई अप्डू नि ये सहर बाजारों ज़रा सि केम क्या कनु सारु 
सार्या धरती का लोग निर्दयी पछताई गयो मी दूर आयी
ओहो भीड़ भर्यु यख मोटर का घ्याल माँ रे
सीनि नि खानी चा
आज कुजनी किलेकी गाँव की याद आणि चा
हर कुड़ी माँ लगया किवाड़ा दिवाला माँ दोन तनी छिबाड़ा
बंजी भित्र्यु मकड़ी जाला मस्त हयान छान मुस्सा बिराला
ओहो रडकी गेनी ओहो सरकी गेनी फटाली
बरखा चुवानी चा
आज कुजनी किलेकी गाँव की याद आणि चा...