प्रीत की कुंगली डोर
सी छिन ये, पर्वत जन कठोर भी छिन ये

हमारा पहाड़ों की नारी..
बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी...

बिनसिरि बटि धाण्यू मां लगीण,
स्यैणी खाणी सब हरचिन
बिनसिरि बटि धाण्यू मां लगीण,
स्यैणी खाणी सब हरचिन
करम ही धरम काम ही पूजा, यूं कै
पसिन्यांन हरि-भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी –
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी..

बरखा बत्वाण्युंन बन मां रुझि छिन, पुंगड़्यूँ मां घामन
गाती सुखीं छिन
बरखा बत्वाण्युंन बन मां रुझि छिन, पुंगड़्यूँ मां घामन
गाती सुखीं छिन
सौ सिंगार क्या हुन्द नि जाणी
फिफ्ना फट्यां छिन, गलोड़ी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी-
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी..

खैरी का आँसुल
आंखी भोरीं चा, मन
की स्यांणि गाणी मारीं चा
खैरी का आँसुल
आंखी भोरीं चा, मन
की स्यांणि गाणी मारीं चा
सरैल घर मां टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी –
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी


दुःख बीमारी मां भी काम
नि टाली, घर बण रुसड़ु
याखुली समाली
दुःख बीमारी मां भी काम
नि टाली, घर बण रुसड़ु
याखुली समाली
स्यैंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रतब्याणुं सूरिज
भी यूनी बिजाली
यूं से बिधाता भी हारी –
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी...

प्रीत की कुंगली डोर
सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाड़ों की नारी..
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी,
बेटी ब्वारी पहाड़ू
की बेटी ब्वारी।