दारू नि प्येंदु मि हे राम राम रम्म रम्म रम्म रम्म
सिकार नि खांदु , सिरी - सिरी ।
नेता समाज सुधारक छौंऊं ,
भज गोबिन्दम भजो हरि ॥

तुमारैं गुठयारो गोर छऊं , भोट डऴयाँ जरा देख चरी
जातिकु थातीकु भित्राकु भैराकु , "ख " अर "ब " कू ख्यालकरी
दारू कछमोळी तुमुनै खाण -
तुमारी जीत चा जीत मेरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

फिकर नि कर हे दरिद्रनोरण , लोन मंजूर करौलु त्यरु
तेरि ग़रीबि कि गवैई दयोलु , ऐसुभि हौऴ लगैदे म्यरु
गंठखुलै देजा करजा ल्हीजा -
आँखा बूजी अंगोठ धारी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

बाब अर दादा भि नेता छा मेरा , मी भी छौं औलाद भि राली
नेतागिरी को ठेक्का लियुंचा , लाख जोड्यावा लाख दया गाळी
ई जोनिम भी वीं जोनिम भी -
नेता छौं नेता हि रौलु मरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

खादी पैर - पैरी छाल़ा पड्यांन , धारना हड़तालुन टुटिनि भटयूड
भाषण देकी जीब छणयेगे , गाळी सुणसुणी फुटुनि कन्दुड
कुर्सिका खातिर मर मिट जौलू -
छौड़ी नि सकदू नेता गिरी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

गरीबू कि सेवाकु बर्त लिहयूँ चा , नेता भि छौं ठेकदार भि छौंऊ
ब्योला ब्योल्यूँकू बऴद भैंस्युकु , व्योपारी गलेदार भि छौंऊ
सबि कुछ छौं पर मनखि नि छौं मी -
दयब्ता बणयूँ छौं घड़ेलु धारी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥

खेत खल्याण बंटुलू सबुमा , येकि पुंगूडी वेका नौंऊं
बेरोजगारू रोजगार दिलाणु , दारू चुआणू गौंऊं गौंऊं
राजनीति भनाणा छिन लोग -
सुदि मुदि मेरु बदनाम करी । भज गोबिन्दम भजो हरि .... ॥