त्रियुगी नारायण तीर्थ रूद्र प्रयाग से केदारनाथ जाने वाले मार्ग पर सोन प्रयाग के स्थित है । सोन प्रयाग से ५ किलोमीटर के चढ़ाई पर यह धाम स्थित्त हैं । यहाँ का मंदिर भगवान विष्णु जिनका एक नाम नारायण भी है को समर्पित है ।
यहाँ भगवान शिव व पार्वती का विवाह सम्पादित हुआ था जिसकी यज्ञ धूनी आज़ तक प्रज्वलित हैं । इसलिय इसे अखंड धूनी मंदिर भी कहते है ।
मंदिर का नाम त्रियुगी नारायण
मंदिर का नाम तीन शब्दों यथाः त्रि यांनी तिन , युग यानी सत युग , त्रेता व द्वापर , नारायण विष्णु का ही एक नाम इस तरह त्रियुगी नारायण नाम उचित ही जान पड़ता है ।
यह मंदिर समुद्र तल से ६५०० फुट की ऊँचाई पर है ।
मंदिर के सम्बन्ध में कथा
पार्वती राजा हिमवान व मेना कि पुत्री थीं । पूर्व में यह दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं जिनका विवाह भगवांन शिव के साथ हुआ था । किसी कारण से दक्ष शिव से विरोध रखनें लगे और एक यग्य संपादित किया जीसमे शिव जी को नहीं बुलाया पर सतीं जिद कर पिता के घऱ चलीं ग़ई जिंस उनको अपमान सामना करना पड़ा । सती ने इस पर अपने शरीर को योगाग्नि से भस्म कर दिया ।
अब पार्वती ने पुनः भगवान शिव से विवाह निमित्त गोरी कुण्ड में बडी तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव विवाह हेतु तय्यार हुए ।
त्रियुगी नारायण राजा हिम वॉन राजधानी थी ।
भगवान विष्णु इस विवाह मे पधारे एवं उन्होंने पार्वती के भ्राता समबन्धी सभीं रस्मो का निर्वाह किया व इस विवाह क़े शाक्षी बने । भगवान ब्रह्मा ने इस विवाह का पौरोहित्य सम्बन्धी कार्य सम्पन्न किया ।
विवाह संबंधी वेदी में जो हवन समपन्न किया था वह आज तक प्रज्वलित है ।
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
{हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..}
नरेण..नरेण..जय हो जय जो जस जय त्रिजुगी नरेण..
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
{हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..}
पार्वती को मैत यख ..शिव को सौराष..
{शिव को सौराष..त्रिजुगी नरेण.}
तीन जुग बटी धुन बजी च..पूजा बारमास
{पूजा बारमास..त्रिजुगी नरेण}
हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..
{हिमवंत देश होला त्रिजुगी नरेण...
देब्तो मा देव ठुला त्रिजुगी नरेण..}
हिमाचल राजा करदा कन्या कु दान .
कन्या कु दान ....त्रीजुगी नारैण.
पार्वती संग फेरा फेरदा शंकर भगवान .(शंकर भगवान ...
त्रीजुगी नारैण)
नारैण...ना...रैन, जै हो जै जौ जस दे त्रीजुगी नारैण.
हिमवंत देश होला त्रीजुगी नारैण..
त्रियुगीनारायण मंदिर का दृश्य बहुत ही आनंदित प्रतीत होता है।
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