प्रेम की पीड़ा को शब्दों के मोती से बया करके फिर उसे अपनी आवाज़ की मधुरता से पूर्ण करने की कला यदि किसी को आती हे तो वो श्री नेगीजी ही हे । उनके गीत "चुलू जगोंदी बगत आई"  को जितनी बार सुनो ...