चल ई दुनिया से दूर चली जुला,
औ यु आन्खियु का नेडू एजा,


चल जग जंजाल से चम् उठी जुला ,
औ ई जिकुड़ी माँ झप के बाई जा,
चल जख फूलूं माँ कांडा नि हुन,
माया का घोलू कुई न उजाडू....." कुई न उजाडू,
प्रेम का पंथ माँ बाढ़ न हो जख,
खिर्सू सारु, खीर ता न गाडू,
चल चल चल चल ई दुनिया से दूर चली जुला ......
कुंगली माया माँ छिन्जू न चुभु जख,
मायाला मन माँ कुमारु नि कर्कू ..." कुमारु नि कर्कू
जमी बिज्वाद माँ धांडू न पडू जख,
भियो नि फरकु, धरती न सरको,
चल चल चल चल ई दुनिया से दूर चली जुला ......
जख कुई केकु सारु नि छिनु,
वाडू नि सरको बांटू नि लुछु-बांटू नि लुछु,
मनखी मन्खियुं माँ भेद न करू कुई,
धर्मं नि अटकुलू, जात नि पुछू,
चल चल चल चल ई दुनिया से दूर चली जुला ......
दुमुख्या दगडू कु दगडू न हो जख,
बाटू बटोही कु साथ नि छोडू......" साथ नि छोडू,
सुख समरिधि कु उज्यालू हो जख,
दुःख विपदों की रात नि पौडू,
चल चल चल चल ई दुनिया से दूर चली जुला.......