इस गाने में नयी नयी शादी शुदा वाली नारी का दुःख को प्रकट किया गया है, जिसका आदमी शादी करके अपनी नौकरी पर दिल्ली गया और अभी तक अपने घर वापिस नहीं आया है, वह औरत दिल्ली से आये किसी अन्य युवक से अपने पति के हाल-चाल जानने को उत्सुक है.. बङा अर्थपूर्ण और मार्मिक गाना है, एक बार फ़िर नेगी जी ने "पलायन" की समस्या पर अपनी सशक्त कलम चलायी है...
हे दिल्ली वला दयुरा, हे दिल्ली वला ...........
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..२
भंडी बरस व्हेगीन यून्की, चिट्ठी पतरी ना खबर सार ....2
नयु- नयु ब्यो व्हे छो हमरू, छोड़ी चली गीन घरबार
चोंठी मा तिल वली भोजी हुन्दू क्वी अता पता भेजी कु त खोजी ल्यान्दा
मैं शक-सुभा हूनू भोजी फड़कणी च आँखी मेरी....2
भेजी मेरु रशिलू मिजाज, क्वी बाँध ना हो तख धेरीं
हट ठठा ना कर भे दयुरा, स्यना त नि छिन तेरा भेजी
छोवं आश मा कभी त ल्याली, मेरी खुद तों खेन्ची खेन्ची
हे दिल्ली वला दयुरा, तेरा भेजी भी दिखेंदिनी रे कभी आन्दा जांदा..
तू फिकर ना कर बो पंछी, कख जालू घोलू छोड़ी
बाटू बिरर्युं च भेजी, ए जालू त्वेमा बोड़ी
चोंठी मा तिल वाली भोजी, काटेनी तिन भी दिन याखुली रून्दा रून्दा..